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19.1.18

मायूस ना हों,कान्हावाडी मे होता है लाईलाज केन्सर रोग का ईलाज

                             

      बैतूल जिले की ख्याति वैसे तो सतपुड़ा के जंगलों की वजह से है, लेकिन यहां के जंगलों में कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी को खत्म कर देने वाली बहुमूल्य जड़ी-बूटियां मिलने से भी यह देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है। दवा लेने के लिए यहां बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं।
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के ग्राम कान्हावाड़ी में रहने वाले भगत बाबूलाल पिछले कई सालों से जड़ी-बूटी एवं औषधियों के द्वारा कैंसर जैसी बीमारी से लोगों को छुटकारा दिलाने में लगे हुए हैं। इस नेक कार्य के बदले में लोगों से वे एक रुपए तक नहीं लेते हैं।

   कैंसर बीमारी से निजात के लिए देश भर से लोग यहां अपना इलाज कराने आते हैं। चूंकि मरीजों को उनकी दवा से फायदा पहुंचता है इसलिए उनके यहां प्रत्येक रविवार एवं मंगलवार को दिखाने वालों का ताता लगा रहता है।



एक दिन पहले से लगाना पड़ता है नंबर
कान्हावाड़ी में इलाज के लिए बाहर से आने वाले लोगों को एक दिन पहले नंबर लगाना पड़ता है।
एक दिन में करीब 1000 से ऊपर मरीज यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। खासकर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां एक दिन पहले ही रात में आ जाते हैं।
     सुबह से नंबर लगाकर अपनी बारी आने का इंतजार करना पड़ता है। कई बार भीड़ अधिक होने के कारण पांच से छह तक लग जाते हैं। बताया गया कि मुम्बई, लखनऊ, भोपाल, दिल्ली सहित देश भर से लोग जिन्हें पता लगता है वे यहां कैंसरे से छुटकारे की आस लेकर पहुंचते हैं। वैसे अभी तक यह सुनने में नहीं आया कि यहां से इलाज कराने के बाद मायूस लौटा हो। यहीं कारण है कि बड़ी संख्या में लोग इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं।
जड़ी-बूटी के इलाज के साथ परहेज भी

    भगत बाबूलाल जो जड़ी-बूटी देते हैं उसका असर परहेज करने पर ही होता है। जड़ी-बूटियों से इलाज के दौरान मांस-मदिरा सहित अन्य प्रकार की सब्जियां प्रतिबंधित कर दी जाती है। जिसका कड़ाई से पालन करना होता है। तभी इन जड़ी-बूटी दवाईयों का असर होता है। वैसे जिन लोगों ने नियमों का परिपालन कर दवाओं का सेवन किया हैं उन्हें काफी हद तक इससे छुटकारा मिला है। बताया गया कि भगत बाबूलाल सुबह से शाम तक खड़े रहकर ही मरीजों को देखते हैं। इलाज के मामले में वे इतने सिद्धहस्त हो चुके हैं कि नाड़ी पकड़कर ही मर्ज और उसका इलाज बता देते हैं।