12.9.17

रतौंधी के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार

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रतौंधी, आंखों की एक बीमारी है। इस रोग के रोगी को दिन में तो अच्छी तरह दिखाई देता है, लेकिन रात के वक्त वह नजदीक की चीजें भी ठीक से नहीं देख पाता।

रोगी की आँखों की जाँच के दौरान पता चलता है कि आँखों का कॉर्निया (कनीनिका) सूख-सा गया है और आई बॉल (नेत्र गोलक) धुँधला व मटमैला-सा दिखाई देता है। उपतारा (आधरिस) महीन छिद्रों से युक्त दिखता है तथा कॉर्निया के पीछे तिकोनी सी आकृति नजर आती है। आँखों से सफेद रंग का स्त्राव होता है।

रतौंधी का कारण व लक्षण
रतौंधी का सबसे आम कारण रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा, एक विकार है जिसमें रेटिना में रॉड कोशिका धीरे - धीरे उनके प्रकाश के लिए प्रतिक्रिया करने की क्षमता खो देते है। इस आनुवंशिक हालत से पीड़ित मरीजों को प्रगतिशील रतौंधी है और अंत में उनके दिन दृष्टि भी प्रभावित हो सकता है। एक्स - जुड़े जन्मजात स्थिर रतौंधी, जन्म से छड़ या तो सब पर काम नहीं है, या बहुत कम काम करते हैं, लेकिन हालत बदतर नहीं मिलता है। रात का अंधापन का एक अन्य कारण retinol, या विटामिन ए की कमी है, मछली के तेल, लीवर और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है।
"अपवर्तक दृष्टि सुधार सर्जरी" रतौंधी का एक व्यापक कारण है, जो विपरीत संवेदनशीलता समारोह की हानि (सीएसएफ) जो कॉर्निया के प्राकृतिक संरचनात्मक अखंडता में शल्य चिकित्सा के हस्तक्षेप से उत्पन्न प्रकाश स्कैटर intraocular से प्रेरित है।निक परिवेश में युवा वर्ग में शारीरिक सौंदर्य आकर्षण को विकसित करने पर अधिक ध्यान देते हैं। ऐसे में वे शरीर के विभिन्न अंगों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते।
ऐसे में नेत्रों को बहुत हानि पहुंचती है और अधिकतर युवक-युवतियां रतौंधी रोग से पीड़ित होते हैं। रतौंधी रोग में रात्रि होने पर रोगी को स्पष्ट दिखाई नहीं देता। यदि इस रोग की शीघ्र चिकित्सा न कराई जाए तो रोगी नेत्रहीन हो सकता है।
विटामिन ‘ए’ की कमी से होनेवाला यह आंखों का प्रमुख रोग है। इस रोग से ग्रसित व्यक्ति को रात्रि के समय दिखाई देना बंद हो । जाता है तथा रोगी की आंखों के सम्मुख काले-पीले धब्बे आने लगते हैं। जिससे उसे काफी असुविधा होती है। यह रोग अधिक समय तक धूप में रहने तथा आहार में विटामिन ‘ए’ की कमी से होता है।
रतौंधी का उपचार
* आंवलाः रतौंधी होने की स्थिति में प्रतिदिन एक आवले का सेवन करें। गाजरः रतौंधी के रोगियों के लिए गाजर अचूक औषधि है। अत: इसका नियमित सेवन करना चाहिए। यदि संभव हो सके तो सुबह-शाम एक-एक गिलास गाजर का रस जरूर पीएं। इससे रतौंधी में काफी फायदा पहुंचेगा।
* सेवः प्रात:काल एक सेव नित्य चबा-चबाकर खाने से काफी आराम मिलता है।
*बेलः बेलपत्र के रस को पीने से तथा बेलपत्र के रस मिश्रित पानी से पुतलियों को धोते रहने से कुछ ही दिनों में चमत्कारी असर होता है। बेल की सात कोंपलें और काली मिर्च के सात दाने पीसकर दो चम्मच पिसी हुई मिश्री में मिलाकर सुबह नाश्ते से पहले चटनी की तरह खाएं। यह प्रयोग सर्दियों के मौसम में करें। जबकि गर्मियों में इस चटनी का शरबत बनाकर पीएं। अगर वायु व कफ की शिकायत हो तो इसमें एक चम्मच शहद भी मिला लें। इस प्रयोग से रतौंधी में काफी लाभ होता ह
* केलाः केले के पत्तों का रस आंखों पर लगाने से रतौंधी दूर हो जाती है। आमः प्रतिदिन एक आम सुबह-शाम खाएं। इससे शरीर में विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होगी और रतौंधी में भी आराम मिलेगा।
क्या खांए?

प्रतिदिन काली मिर्च का चूर्ण घी या मक्खन के साथ मिसरी मिलाकर सेवन करने से रतौंधी नष्ट होती है।
प्रतिदिन टमाटर खाने व रस पीने से रतौंधी का निवारण होता है।
आंवले और मिसरी को बारबर मात्रा में कूट-पीसकर 5 ग्राम चूर्ण जल के साथ सेवन करें।
हरे पत्ते वाले साग पालक, मेथी, बथुआ, चौलाई आदि की सब्जी बनाकर सेवन करें।
अश्वगंध चूर्ण 3 ग्राम, आंवले का रस 10 ग्राम और मुलहठी का चूर्ण 3 ग्राम मिलाकर जल के साथ सेवन करें।
मीठे पके हुए आम खाने से विटामिन ‘ए’ की कमी पूरी होती है। इससे रतौंधी नष्ट होती है।
सूर्योदय से पहले किसी पार्क में जाकर नंगे पांव घास पर घूमने से रतौंधी नष्ट होती है।
शुद्ध मधु नेत्रों में लगाने से रतौंधी नष्ट होती है।

किशोर व नवयुवकों को रतौंधी से सुरक्षित रखने के लिए उन्हें भोजन में गाजर, मूली, खीरा, पालक, मेथी, बथुआ, पपीता, आम, सेब, हरा धनिया, पोदीना व पत्त * गोभी का सेवन कराना चाहिए।
क्या न खाएं?
चाइनीज व फास्ट फूड का सेवन न करें।
उष्ण मिर्च-मसाले व अम्लीय रसों से बने खाद्य पदार्थो का सेवन से अधिक हानि पहुंचती है।
अधिक उष्ण जल से स्नान न करें।
आइसक्रीम, पेस्ट्री, चॉकलेट नेत्रो को हानि पहुंचाते है।
अधिक समय तक टेलीविजन न देखा करें। रतौंधी के रोगी को धूल-मिट्टी और वाहनों के धुएं से सुरक्षित रहना चाहिए।
रसोईघर में गैंस के धुएं को निष्कासन करने का पूरा प्रबंध रखना चाहिए।
खट्टे आम, इमली, अचार का सेवन न करें।




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