3.2.12

फ़ोडे,फ़ुन्सियां,गुमडे की घरेलू ,आयुर्वेदिक चिकित्सा Fode funsiya


                                                                                                   

  

फ़ोडॆ ,गुमडॆ ,गांठ होना त्वचा का रोग है।खासकर स्टेफ़िलोकोकस जीवाणु इस रोग के लिये उत्तरदायी माना जाता है।इस रोग में त्वचा के रोम छिद्रों में संक्रमण होने से स्थानीय तौर पर पर पीडाकारक सूजन और ऊभार बन जाते हैं जिसमे पीप पड जाती है। एक या अधिक रोम छिद्र प्रभावित हो सकते हैं। स्वेद ग्रंथियों में संक्रमण होने से भी फ़ोडे-फ़ुन्सियां होती हैं। पककर फ़ूटने पर पीप स्राव होता है। साधारणतया यह रोग घरेलू ईलाज से ठीक हो जाता है। लेकिन पुराने रोग के में ईलाज कुछ लंबे समय लगता है।

नीचे फ़ोडे-फ़ुन्सियों,घुमडे- गांठ के घरेलू उपचार दिए गये हैं जिनसे रोग शीघ्र ही नियंत्रित होकर रोगी स्वस्थ्य हो जाता है--
Protected by Copyscape DMCA Copyright Detector१) करेले का रस ५० मिलि में एक निंबू का रस मिलाकर रोज सुबह खाली पेट कुछ दिन तक लेते रहने से शरीर की गुमडे-गांठ की प्रवत्ति से मुक्ति मिल जाती है।









२) जीरा पानी के साथ पीसकर पेस्ट जैसा बनाकर फ़ोडे-फ़ुंसियों पर लगाना चाहिये।


३) नागरवेल पान को मामूली तपायें फ़िर उस पर अरंडी का तेल चुपडकर सूजन वाले स्थान पर लगाकर पट्टी बांधें। २-३ घंटे में पान बदलते रहें। फ़ोडा फ़ूटकर पीप निकल जायेगा।





४) मक्का(कोर्न) का आटा का प्रयोग लाभदायक है। १००मिलि पानी उबालें उसमे मक्का का आटा घोलते जायें। जब पेस्ट जैसा गाढा हो जाये तब आंच से उतारलें। इसे फ़ोडे फ़ुंसी,गुमड गांठ पर लगाकर पट्टी बांधें। २-३ घंटे के अंतर पर यह प्रक्रिया पुन: करते रहने से फ़ोडा पक जाता है और पीप बाहर निकल जाती है।



५) २०० मिलि दूध ऊबालें। इसमें १५ ग्राम नमक धीरे-धीरे मिलाते जाएं। जल्दी मिलाने से दूध फ़ट जाएगा। अब इसे गाढा बनाने के लिये ब्रेड के टुकडे उसमें डालें।पेस्ट जैसा बनने पर आंच से उतारें। इसे फ़ोडे फ़ुंसी पर हर तीन घंटे बाद लगाकर पट्टी बांधते रहने से कच्चा फ़ोडा-गांठ पक कर फ़ूट निकलता है।यह ध्यान देने योग्य है कि पीप त्वचा के अन्य हिस्से पर न लगे अन्यथा संक्रमण फ़ैलने का खतरा रहता है। फ़ोडा-फ़ुंसी रोगी के टावेल,कपडे,दाढी का सामान आदि अन्य व्यक्ति उपयोग नहीं करें।
६) प्याज और लहसुन फ़ोडे फ़ुंसी के उत्तम उपचारों मे शुमार होते हैं।प्याज और लहसुन का रस बराबर मात्रा में मिलाकर फ़ोडे-फ़ुंसी पर लगाने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं।

७) हल्दी का प्रयोग हितकारी उपाय है। ३-४ हल्दी की गांठें आग में जलाएं फ़िर बारीक पीसकर १००मिलि पानी में घोल लें। यह मिश्रण फ़ोडे-फ़ुंसी पर लगाते रहने से फ़ोडे पक कर फ़ूट जाते है। हल्दी में जीवाणु नाशक गुण होते हैं।
८) प्याज में जीवाणु नाशक गुण होते हैं। चाकू से प्याज की चीरें काट लें ।फ़ोडे फ़ुंसी पर रखकर पटी बांधें। कुछ ही बार ऐसा करने से फ़ोडा पक जाएगा। मामूली दबाकर पीप निकाल दें।






९) गरम पानी में कपडा डुबोकर निचोडकर ३-४ तह(लेयर) बनाकर यह पट्टी फ़ोडे पर रखने और ठंडा हो जाने पर फ़िर गरम पटी रखते रहने से भी फ़ोडा-गांठ शीघ्र फ़ूट जाता है।



१०) चेहरे की फ़ुंसियों को दबाकर पीप नहीं निकालना चाहिये वर्ना चेहरे पर दाग बाकी रह जाएंगे और उनको ठीक करने का अतिरिक्त उपचार करना होगा।



११) एक गिलास जल में एक चम्मच हल्दी पावडर घोलकर रोज सुबह पीने से कुछ ही रोज में खून साफ़ होकर फ़ोडे फ़ुंसियां ठीक हो जाती हैं|



















10.4.11

दन्तशूल के घरेलू उपचार //Toothache home remedies


                                             
                                              

दांत,मसूढों और जबडों में होने वाली पीडा को दंतशूल से परिभाषित किया जाता है। हममें से कई लोगों को ऐसी पीडा अकस्मात हो जाया करती है। दांत में कभी सामान्य तो कभी असहनीय दर्द उठता है। रोगी को चेन नहीं पडता। मसूडों में सूजन आ जाती है। दांतों में सूक्छम जीवाणुओं का संक्रमण हो जाने से स्थिति और बिगड जाती है। मसूढों में घाव बन जाते हैं जो अत्यंत कष्टदायी होते हैं।दांत में सडने की प्रक्रिया शुरु हो जाती है और उनमें केविटी बनने लगती है।जब सडन की वजह से दांत की नाडियां प्रभावित हो जाती हैं तो पीडा अत्यधिक बढ जाती है।

   प्राकृतिक उपचार दंत पीडा में लाभकारी होते हैं। सदियों से हमारे बडे-बूढे दांत के दर्द में घरेलू पदार्थों का उपयोग करते आये हैं। यहां हम ऐसे ही प्राकृतिक उपचारों की चर्चा कर रहे हैं।


१) बाय बिडंग १० ग्राम,सफ़ेद फ़िटकरी १० ग्राम लेकर तीन लिटर जल में उबालकर जब मिश्रण एक लिटर रह जाए तो आंच से उतारकर ठंडा करके एक बोत्तल में भर लें। दवा तैयार है। इस क्वाथ से सुबह -शाम कुल्ले करते रहने से दांत की पीडा दूर होती है और दांत भी मजबूत बनते हैं।





२) लहसुन में जीवाणुनाशक तत्व होते हैं। लहसुन की एक कली थोडे से सैंधा नमक के साथ पीसें फ़िर इसे दुखने वाले दांत पर रख कर दबाएं। तत्काल लाभ होता है। प्रतिदिन एक लहसुन कली चबाकर खाने से दांत की तकलीफ़ से छुटकारा मिलता है।





३) हींग दंतशूल में गुणकारी है। दांत की गुहा(केविटी) में थोडी सी हींग भरदें। कष्ट में राहत मिलेगी।

४) तंबाखू और नमक महीन पीसलें। इस टूथ पावडर से रोज दंतमंजन करने से दंतशूल से मुक्ति मिल जाती है।
५) बर्फ़ के प्रयोग से कई लोगों को दांत के दर्द में फ़ायदा होता है। बर्फ़ का टुकडा दुखने वाले दांत के ऊपर या पास में रखें। बर्फ़ उस जगह को सुन्न करके लाभ पहुंचाता है।









६) कुछ रोगी गरम सेक से लाभान्वित होते हैं। गरम पानी की थैली से सेक करना प्रयोजनीय है।












७) प्याज कीटाणुनाशक है। प्याज को कूटकर लुग्दी दांत पर रखना हितकर उपचार है। एक छोटा प्याज नित्य भली प्रकार चबाकर खाने की सलाह दी जाती है। इससे दांत में निवास करने वाले जीवाणु नष्ट होंगे।




८) लौंग के तैल का फ़ाया दांत की केविटी में रखने से तुरंत फ़ायदा होगा। दांत के दर्द के रोगी को दिन में ३-४ बार एक लौंग मुंह में रखकर चूसने की सलाह दी जाती है।







९) नमक मिले गरम पानी के कुल्ले करने से दंतशूल नियंत्रित होता है। करीब ३०० मिलि पानी मे एक बडा चम्मच नमक डालकर तैयार करें।दिन में तीन बार कुल्ले करना उचित है।
१०) पुदिने की सूखी पत्तियां पीडा वाले दांत के चारों ओर रखें। १०-१५ मिनिट की अवधि तक रखें। ऐसा दिन में १० बार करने से लाभ मिलेगा।
११) दो ग्राम हींग नींबू के रस में पीसकर पेस्ट जैसा बनाले। इस पेस्ट से दंत मंजन करते रहने से दंतशूल का निवारण होता है।






१२। मेरा अनुभव है कि विटामिन सी ५०० एम.जी. दिन में दो बार और केल्सियम ५००एम.जी दिन में एक बार लेते रहने से दांत के कई रोग नियंत्रित होंगे और दांत भी मजबूत बनेंगे।
१३)  मुख्य बात ये है कि  सुबह-शाम दांतों की स्वच्छता करते रहें। दांतों के बीच की जगह में अन्न कण फ़ंसे रह जाते हैं और उनमें जीवाणु पैदा होकर दंत विकार उत्पन्न करते हैं।
१४) शकर का उपयोग हानिकारक है। इससे दांतो में जीवाणु पैदा होते हैं। मीठी वसुएं हानिकारक हैं। लेकिन कडवे,ख्ट्टे,कसेले स्वाद के पदार्थ दांतों के लिये हितकर होते है। नींबू,आंवला,टमाटर ,नारंगी का नियमित उपयोग लाभकारी है। इन फ़लों मे जीवाणुनाशक तत्व होते हैं। मसूढों से अत्यधिक मात्रा में खून जाता हो तो नींबू का ताजा रस पीना लाभकारी है।
१५)    हरी सब्जियां,रसदार फ़ल भोजन में प्रचुरता से शामिल करें।




१६)  दांतों की  केविटी में दंत चिकित्सक केमिकल मसाला भरकर इलाज करते हैं। सभी प्रकार के जतन करने पर भी दांत की पीडा शांत न हो तो दांत उखडवाना ही आखिरी उपाय है।
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25.1.11

मूत्राषय प्रदाह (cystitis) के घरेलू आयुर्वेदिक उपचार Mootrashay Pradah

                                                                    


     मूत्राषय   में रोग-जीवाणुओं का संक्रमण होने से मूत्राषय प्रदाह रोग उत्पन्न होता है। निम्न मूत्र पथ के अन्य अंगों किडनी, यूरेटर और प्रोस्टेट ग्रंथि और योनि में भी संक्रमण का असर देखने में आता है। इस रोग  के कई कष्टदायी लक्षण  होते हैं जैसे-तीव्र गंध वाला पेशाब होना,पेशाब का रंग बदल जाना, मूत्र त्यागने में जलन और दर्द  अनुभव होना, कमजोरी मेहसूस होना,पेट में पीडा और शरीर में बुखार की हरारत रहना। हर समय मूत्र त्यागने की ईच्छा बनी रहती है। मूत्र पथ में जलन  बनी रहती है। मूत्राषय में सूजन आ जाती है।
     यह रोग पुरुषों की तुलना में स्त्रियों में ज्यादा देखने में आता है। इसका कारण यह है कि स्त्रियों की पेशाब नली (दो इंच) के बजाय पुरुषों की मूत्र नलिका ७ इंच लंबाई  की होती है। छोटी नलिका से होकर संक्रमण सरलता से मूत्राषय को आक्रांत कर लेता है। गर्भवती स्त्रियां और सेक्स-सक्रिय औरतों में मूत्राषय प्रदाह रोग अधिक पाया जाता है। ऋतू निवृत्त महिलाओं में भी यह रोग अधिक होता है।
     इस रोग में मूत्र खुलकर नहीं होता है और जलन की वजह से रोगी पूरा पेशाब नहीं कर पाता है और मूत्राषय में पेशाब बाकी रह जाता है। इस शेष रहे मूत्र में जीवाणुओं का संचार होकर रोगी की स्थिति ज्यादा खराब हो सकती है।
    आधुनिक चिकित्सक एन्टीबायोटिक दवाओं से इस रोग को काबू में करते हैं लेकिन कुदरती और घरेलू पदार्थॊं  के उपचार  इस रोग में अधिक फ़लदायी होते है।






१)  खीरा ककडी का रस इस रोग में अति लाभदायक है। २०० मिलि ककडी के रस में एक बडा चम्मच नींबू का रस  और एक चम्मच शहद मिलाकर हर तीन घंटे के फ़ासले से पीते रहें।



२) पानी और अन्य तरल पदार्थ प्रचुर मात्रा में प्रयोग करें। प्रत्येक १० -१५ मिनिट के अंतर पर एक गिलास पानी या फ़लों का रस पीयें। सिस्टाइटिज नियंत्रण का यह रामबाण उपचार है।






३)  मूली के पत्तों का रस लाभदायक है। १०० मिलि रस दिन में ३ बार प्रयोग करें।





 
४)  नींबू का रस इस रोग में उपयोगी है। वैसे तो नींबू स्वाद में खट्टा होता है लेकिन गुण क्छारीय हैं। नींबू का रस मूत्राषय में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट करने में सहायक होता है। मूत्र में रक्त आने की स्थिति में भी लाभ होता है।
५)  पालक रस १२५ मिलि में नारियल का पानी मिलाकर पीयें। तुरंत फ़ायदा होगा। पेशाब में जलन मिटेगी।







६)  पानी में मीठा सोडा यानी सोडा बाईकार्ब मिलाकर पीने से तुरंत लाभ प्रतीत होता है लेकिन इससे रोग नष्ट नहीं होता। लगातार लेने से स्थिति ज्यादा बिगड सकती है।
७) गरम पानी से स्नान करना चाहिये। पेट और नीचे के हिस्से में गरम पानी की बोतल से सेक करना चाहिये। गरम पानी के टब में बैठना लाभदायक है।
८)  मूत्राषय प्रदाह रोग की शुरुआत में तमाम गाढे भोजन बंद कर देना चाहिये।दो दिवस का  उपवास करें। उपवास के दौरान पर्याप्त मात्रा में तरल,पानी,दूध लेते रहें।
९)  विटामिन सी (एस्कार्बिक एसिड) ५०० एम जी दिन में ३ बार लेते रहें। मूत्राषय प्रदाह निवारण में उपयोगी है।






१०) ताजा भिंडी लें। बारीक काटॆं। दो गुने जल में उबालें। छानकर यह काढा दिन में दो बार पीने से मूत्राषय प्रदाह की वजह से होने वाले पेट दर्द में राहत मिल जाती है।





११)  आधा गिलास मट्ठा में आधा गिलास जौ का मांड मिलाएं इसमें नींबू का रस ५ मिलि मिलाएं और पी जाएं। इससे मूत्र-पथ के रोग नष्ट होते है।
१२) आधा गिलास  गाजर का रस में इतना ही पानी मिलाकर पीने से मूत्र की जलन दूर होती है। दिन में दो बार प्रयोग कर सकते हैं।












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  • 18.11.10

    मोटापा से मुक्ति पाएँ


                                                     

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               मोटापे से कई बीमारियां जन्म लेती हैं जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर। स्त्री हो या पुरुष, उनका वजन उनकी लंबाई के हिसाब से होना चाहिए जैसे 5 फिट लंबाई हो तो वजन 60 किलोग्राम कुछ कम या ज्यादा हो तो एडजस्ट किया जा सकता है। मोटापे का मतलब है हमारी ऊंचाई के अनुपात में अत्यधिक वजन होना। मोटापे की समस्या होने पर व्यक्ति का पूरा शरीर थुलथुला हो जाता है और मांसपेशियां भी ढीली हो जाती है। कूल्हे व पीठ का भाग बढ़ जाता है, पेट लटक जाता है, हाथ व जांघ थुलथुले हो जाते हैं। यह सभी मोटापे के ही लक्षण हैं।
     मोटापा होने के कारण--


    शलजम

    सौंफ़

    लहसुन

    ९) कम नमक,कम शकर उपयोग करें।









    १०) अधिक वसा युक्त भोजन पदार्थ से परहेज करें। तली गली चीजें इस्तेमाल करने से चर्बी बढती है। वनस्पति घी बेहद हानिकारक है।

    ११) सूखे मेवे (बादाम,खारक,पिस्ता) ,अलसी के बीज,ओलिव आईल में उच्चकोटि की वसा होती है। इनका संतुलित उपयोग उपकारी है।






    १२) शराब और दूध निर्मित पदार्थों का उपयोग वर्जित है।












    १३) अदरक चाकू से बरीक काट लें ,एक नींबू की चीरें काटकर दोनो पानी में ऊबालें। सुहाता गरम पीयें। बढिया उपाय है।













    १४) रोज पोन किलो फ़ल और सब्जी का उपयोग करें।













    १५) ज्यादा कर्बोहायड्रेट वाली वस्तुओं का परहेज करें।शकर,आलू,और चावल में अधिक कार्बोहाईड्रेट होता है। ये चर्बी बढाते हैं। सावधानी बरतें।कम खाएं।





    १६) केवल गेहूं के आटे की रोटी की बजाय गेहूं सोयाबीन,चने के मिश्रित आटे की रोटी ज्यादा फ़यदेमंद है।


    १७) शरीर के वजने को नियंत्रित करने में योगासन का विशेष महत्व है। कपालभाति,भस्त्रिका का नियमित अभ्यास करें।
    १८) सुबह आधा घंटे तेज चाल से घूमने जाएं। वजन घटाने का सर्वोत्तम तरीका है।



    १९) भोजन मे ज्यादा रेशे वाले पदार्थ शामिल करें। हरी सब्जियों ,फ़लों में अधिक रेशा होता है। फ़लों को छिलके सहित खाएं। आलू का छिलका न निकालें। छिलके में कई पोषक तत्व होते हैं।











    20) मोटापा एवं अनेक रोगों से मुक्त होने का एक और अचूक उपाय-...
    मेथी दाना -250 ग्राम
    अजवाइन-100 ग्राम ,
    काली जीरा-50 ग्राम
    ।उपरोक्त तीनो चीज़ों को साफ़ करके हल्का सा सेक लें ,फिर तीनों को मिलाकर मिक्सर में इसका पॉवडर
    बनालें और कांच की किसी शीशी में भर कर रख लें । रात को सोते समय आधा चम्मच पॉवडर एक गिलास
    कुनकुने पानी के साथ नित्य लें ,इसके बाद कुछ भी खाना या पीना नहीं है ।इसे सभी उम्र के लोग ले सकते हैं
    फायदा पूर्ण रूप से 80-90 दिन में हो जायेगा ।
    बने शाकाहारी :
    शाकाहार अपनाने से आपकी लाइफ स्‍टाइल में कई बदलाव आएंगे, लेकिन वे कारगार और प्रभावी होंगे। अध्‍ययन बताते हैं कि ज्‍यादा मांसाहार के सेवन का असर भी मोटापे पर पड़ता है।

    यदि आप अधिक मांसाहार करते हैं तो एकदम से इसें बंद करना आसान नहीं होता। जब तक आप पूर्ण रूप से इसे न छोड़ पाएं, तब तक मांसाहार और शाकाहार का सेवन जारी रखें और धीरे-धीरे शाकाहार को पूरी तरह अपनाएं।
    फास्‍ट फूड से तौबा :
    तली हुई चीजे जैसे- आलू चिप्‍स, कुकीज का कम से कम उपयोग करें। फास्‍ट फूड जैसे- बर्गर, पिज्‍जा की जगह सलाद, फ्रूट जैसी स्‍वस्‍थ चीजों का चुनाव करें।
    फाइबर युक्‍त भोजन -
    खाने में फाइबर युक्‍त भोजन लें। यह आपके शरीर को कोलेस्‍ट्रोल से बचाता है और उसे आपके शरीर से बाहर करता है। फाइबरयुक्‍त भोजन आपके शरीर की एक्‍स्‍ट्रा कैलोरी को भी बर्न करता है| 

    विशिष्ट परामर्श-




    यकृत,प्लीहा,आंतों के रोगों मे अचूक असर हर्बल औषधि "उदर रोग हर्बल " चिकित्सकीय  गुणों  के लिए प्रसिद्ध है|पेट के रोग,लीवर ,तिल्ली की बीमारियाँ ,पीलिया रोग,कब्ज  और गैस होना,सायटिका रोग ,मोटापा,भूख न लगना,मिचली होना ,जी घबराना ज्यादा शराब पीने से लीवर खराब होना इत्यादि रोगों मे प्रभावशाली  है|बड़े अस्पतालों के महंगे इलाज के बाद भी  निराश रोगी  इस औषधि से ठीक हुए हैं| औषधि के लिए वैध्य दामोदर से 9826795656 पर संपर्क करें|