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18.12.17

पेट के रोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा

* पेट के रोगों को होम्योपैथिक चिकित्सा, तेज दर्द, हिचकी, पानीदार वमन, ऐंठन, चलने का प्रयास करने पर कंपन, पैरों की पिंडलियों में मरोड़, मध्य रात्रि के बाद अधिक तेज, बिस्तर से उठकर खड़े होने पर राहत महसूस होना - क्यूप्रम आर्सेनिकम 200 - एक खुराक प्रतिदिन।
* बहुत तेज मिचली, वमन, ठंडा पसीना और अत्यन्त बेचैनी - लॉबीलिया इन्फ्लेटा 6 - दिन में तीन बार।
* कमजोरी और दुर्बलता, लीवर का बढ़ना - इंसुलिन 3 एक्स - एक खुराक प्रतिदिन।
* अपेंडिसाइटिस, बाहर से महसूस किया जा सकता है, दाएँ भाग में अत्यन्त पीड़ा - बैप्टीसिया टिंक्टोरिया 3 एक्स - दिन में तीन बार या दिन में एक बार। 
* अपेंडिसाइटिस, दाएँ भाग में दर्द, चमड़ी छूने तक से अधिक दर्द - बेलाडोना 3 एक्स - दिन में दो बार।
* क्षुधा-विकार - नेट्रम फॉस्फोरिकम 30 - दिन में तीन बार।
* भूख में कमी तेजी से दूबले होते जाना और वमन - आयोडियम 30 - दिन में दो बार।

* गरिष्ठ भोजन के बाद पेट फूलना - नक्स वोमिका 30 - तीन दिनों तक दिन में तीन बार और चौथे दिन पल्सेटिला 200 एक खुराक प्रतिदिन लें।
* पेटदर्द, पेट से वायु निकालने के लिए - कैल्सकेरिया फॉस्फोरिका 6 - दिन में तीन बार।
* अम्लता, पेट में खट्टापन महसूस होना, दाँतों को खट्टा बनाने वाला वमन - रोबिना 30 - दिन में दो बार।
* अम्लता, सीने में जलन, खट्टी डकार और वमन, एलोपैथिक दवाओं में मैग्नीशिया के इस्तेमाल के कारण - मैग्नीशियम कार्बोनिका 6 - दो सप्ताह में एक बार लें।
* खट्टी डकार, वमन, कलेजे, की जलन के साथ अम्लता - लाइकोपोडियम 30 - दिन में एक खुराक।
* तीव्र पेचिश - मरक्यूरियस कोरोसिवस 6 या कोलोसिंथ 6 या दोनों अदल-बदलकर दिन में दो दो बार।
* पेट में जलन, खाने के बाद राहत मिलती है - फॉस्फोरस 200 - एक खुराक।
विशिष्ट डायरिया के साथ होनेवाले रोग - क्रोटन टिंगलम 30 - दिन में तीन बार।
* अप्राकृतिक चीजें, जैसे चॉक, मिट्टी, कोयला इत्यादि खाने की इच्छा - कैल्केरिया फॉस्फोरिका 12 एक्स - रोजाना तीन बार।
* भूख में कमी - केरिका पपाया 30 - हर चार घंटे पर।
* प्लीहा की बाईं ओर दर्द, पेट में लगातार दर्द - सियोनेंथस - क्यू की दो से पाँच बूँदें, दिन में दो बार।
* पेट में गड़गड़ाहट, पेट फूल जाता हो - थुजा 30 - दिन में दो बार।
* बच्चों का पेट बढ़ना - सल्फर 1 एम - दो सप्ताह में एक बार, केवल सुबह के समय।
* पेट की वायु तथा यकृत (लीवर) में हुए संक्रमण के कारण उत्पन्न पेट के रोग - मल-त्याग तथा पेट से अपानवायु निकलने पर आराम मिलता है- नेट्रम आर्सेनिकम 30 - दिन में तीन बार।
* उदरशूल (तेज पेटदर्द), गरम सिंकाई से आराम - मैग्नीशिया फॉस्फोरिकम 12 - एक्स हर घंटे।
* अम्लता (एसिडिटी), सभी खाद्य पदार्थ खट्टे और अप्रिय लगते हैं; जलन में पानी पीने से अस्थायी राहत मिलती है - सेनिक्यूला 30 - दिन में तीन बार।
* अत्यधिक अम्लता, जीभ के पिछले हिस्से पर पीली परत, खट्टी डकार और वमन - नेट्रम फॉस्फोरिकम 30 - छह-छह घंटे पर।


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